ध्वनि अर्थात् किसी भी प्रकार की आवाज़, जो कानों को सुनाई पड़े, ध्वनि कहलाती है। कुछ ध्वनियाँ कर्णप्रय होती हैं और कुछ ध्वनियाँ ऐसी भी होती हैं जिन्हें हम सुनना भी पसंद नहीं करते, जैसे-बादलों की गड़गड़ाहट से उत्पन्न आवाज़, वाद्य बजने से उत्पन्न आवाज़, पक्षियों की आवाज़, गायन की आवाज़। केवल कर्णप्रय ध्वनि ही संगीत के लिए उपयोगी मानी जा सकती है।
ध्वनि की उत्पत्ति कंपन से होती है। किसी भी वस्तु पर आघात करने से जो कंपन उत्पन्न होती है उसे ध्वनि कहा जाता है। तंत्रवाद्य में तारों की कंपन से ध्वनि उत्पन्न होती है। तबला, ढोलक आदि वाद्य में चमड़े के कंपन से ध्वनि उत्पन्न होती है। मनुष्य के कंठ के भीतर जो स्वर-तंत्रियाँ (Vocal Chords) हैं उनके कंपन से ध्वनि उत्पन्न होती है। बाँसुरी, शहनाई आदि वाद्यों में हवा के कंपन से ध्वनि उत्पन्न होती है। संगीत में मधुर ध्वनि को नाद कहते हैं।
Sound by Human Vocal Chord |
ध्वनि की उत्पत्ति कंपन से होती है। किसी भी वस्तु पर आघात करने से जो कंपन उत्पन्न होती है उसे ध्वनि कहा जाता है। तंत्रवाद्य में तारों की कंपन से ध्वनि उत्पन्न होती है। तबला, ढोलक आदि वाद्य में चमड़े के कंपन से ध्वनि उत्पन्न होती है। मनुष्य के कंठ के भीतर जो स्वर-तंत्रियाँ (Vocal Chords) हैं उनके कंपन से ध्वनि उत्पन्न होती है। बाँसुरी, शहनाई आदि वाद्यों में हवा के कंपन से ध्वनि उत्पन्न होती है। संगीत में मधुर ध्वनि को नाद कहते हैं।
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