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संगीत के प्रकार और पक्ष

संगीत के प्रकार

संगीत के दो प्रकार हैं ∶-

  1. शास्त्रीय संगीत,
  2. भाव संगीत

1. शास्त्रीय संगीत

जिन संगीत को निर्धारित नियमों के अनुसार गाया या बजाया जाता है उसे शास्त्रीय संगीत कहते हैं। शास्त्रीय संगीत के इस प्रकार को राग, स्वर, ताल, लय आदि के नियमों का पालन करते हुए प्रस्तुत किया जाता है। इसके अंतर्गत ख्याल गायन, ध्रपद, धमार इत्यादि आते हैं।

2. भाव संगीत

संगीत के इस प्रकार में शास्त्रीय संगीत के कोई बंधन नहीं होता। इस संगीत का मुख्य उद्देश्य लोगों का मनोरंजन करना होता है। इस प्रकार के संगीत में शब्द और भाव की प्रधानता होती है। भाव प्रधान होने के कारण ही इसे भाव संगीत कहते हैं। इसके अंतर्गत भवन, गीत, लोकगीत, चित्रपट संगीत, विशेष उतसवों पर गाये जाने वाले गीत आदि आते हैं।

संगीत के पक्ष

काव्य की भाँति संगीत के दो पक्ष होते हैं :-

  1. भाव पक्ष
  2. कला पक्ष

1. भाव पक्ष

स्वर और लय के द्वारा हृदय की भावनाओं को प्रकट करना ही संगीत का मुख्य उद्देश्य होता हैं। जब कोई कलाकार सूक्ष्म भाव को स्पष्ट करता हुआ अपनी रचना से दूसरों की भावनाओं को प्रभावित करना है तो उसका भाव पक्ष उतना ही प्रबल माना जाता है।

2. कला पक्ष

जब कलाकार अपनी कृति को स्वरों के चमत्कारिक रूप से, विभिन्न लयकारियों तथा अलंकारों से सजा कर प्रकट करता है तो उसका संगीत कला पक्ष से परिपूर्ण कहलाता है। इस प्रचार का संगीत प्रस्तुत करने वाला कलाकार संगीत-ज्ञान-कुशल होना चाहिए ताकि चमत्कारिक और अलंकृत गायन के साथ कलाकार के मनोभाव एवं गीत के भाव श्रोताओं तक अवश्य पहुँचें।

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