मानवीय भावनाओं की सुंदर अभिव्य़क्ति का साकार रूप ही कला है । विकास के साथ- साथ मानव की कल्पना प्रकृति को सुंदर रूप देने की चेष्टा करने लगी । उसकी इस चेष्टा को अधिकाधिक दिव्य व सौंदर्यमयी बनाने के लिए ललित कलाओं का जन्म हुआ तथा ये कलाएँ निम्न रूप में प्रस्तुत हुईं -
यह सर्वविदित है कि संगीत सभी ललित कलाओं में प्राचीन है | जब मनुष्य ने भाषा नहीं सीखी थी किसी - न - किसी रूप में संगीत था | आदिमानव भी अपने ह्रदय के उद्गार , खुशी अदि गुनगुनाकर व्यक्त करता था | जिस प्रकार चिडयों को चहचहाना एवं बालक को रोना स्वतः ही आ जाता है , उसी प्रकार मनुष्य को गुनगुनाना , नाचना आदि स्वतः ही आता है | ऐसा मना गया है कि अन्य कालाओं का जन्म बाद में हुआ | इन सभी ललित कलाओं के लिए भौतिक साधनों तथा उपकरणों की आवश्यकता रहती है , जैसे - वास्तुकला में ईंट , पत्थर , हथौड़ा , मिट्टी अादि ; मूर्तिकला में पत्थर के अलावा चूना ,प्लास्टर , छेनी , हथौड़ी आदि ; चित्रकला में कागज़ , ब्रश , रंग , पेन्सिल आदि ; काव्य तथा संगीत के लिए नाद एवं शब्द आदि की आवश्यकता पड़ती है | संगीत केवल नाद प्रधान ही है | अतः संगीत का स्थान सभी ललित कलाओं में सर्वश्रेष्ट है | यह कला अपने प्रभाव की व्यापकता , सूक्ष्मता और महत्ता के कारण ललित कलाओं रूपी आकाश का ध्रुव तारा बनी हुई है | लौकिक व अलौकिक , भौतिक तथा आध्यात्मिक आनंद प्राप्त करने तथा प्रदान करने की जितनी शक्ति संगीत में है , उतनी अन्य कलाओं में नहीं |
संगीत सभी ललित कलाओं में सर्वश्रेठ है | इस संबंध में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा " वेदानाम् सामवेदोऽस्मि " तथा वृंदावन के रास में नृत्य एवं बाँसुरी बजाकर इसकी महानता दिखाई गई है | आधुनिक कवि गरु रवीन्द्रनाथ टैगोर ने तो यह भी कहा है कि " जहाँ कविता ( काव्य ) में अभिव्यक्ति असमर्थ है वहाँ से संगीत की पहली सीढ़ी आरंभ होती है | संगीत अपने सुख - दुःख , प्रेम आदि अनुभूतियों की स्वर , लय , ताल मुद्राओं आदि श्रेष्ठतम अभिव्यक्ति है | श्रेष्ठता से संपन्नता को कला कहा जाता है , इसलिए संगीत को ' संगीत कला " के नाम से संबोधित किया जाता है | "
संगीत खुद काव्यमय है , इसलिए इसमें लीन हो जाने पर चित्त सदा भावमय रहता है | संगीत के लोक से उज्जवल रश्मि निकलकर हमें उच्चतम लोक तक ले जाती है |
Music is the divine form form of art which gives us the feeling of great pleasure and the will to live life to the brim.
- भवन निर्माण के रूप में वास्तुकला |
- भावों को मूर्ति के रूप में व्यक्त करने पर मुर्तिकला |
- प्रकृति के दृश्यों को चित्रफलक पर उतारने पर चित्रकला |
- शब्द तथा भाषा के माध्यम से भाव व्यक्त करने पर काव्यकला |
- सप्त स्वरों के माध्यम से भाव व्यक्त करने पर संगीत काला |
यह सर्वविदित है कि संगीत सभी ललित कलाओं में प्राचीन है | जब मनुष्य ने भाषा नहीं सीखी थी किसी - न - किसी रूप में संगीत था | आदिमानव भी अपने ह्रदय के उद्गार , खुशी अदि गुनगुनाकर व्यक्त करता था | जिस प्रकार चिडयों को चहचहाना एवं बालक को रोना स्वतः ही आ जाता है , उसी प्रकार मनुष्य को गुनगुनाना , नाचना आदि स्वतः ही आता है | ऐसा मना गया है कि अन्य कालाओं का जन्म बाद में हुआ | इन सभी ललित कलाओं के लिए भौतिक साधनों तथा उपकरणों की आवश्यकता रहती है , जैसे - वास्तुकला में ईंट , पत्थर , हथौड़ा , मिट्टी अादि ; मूर्तिकला में पत्थर के अलावा चूना ,प्लास्टर , छेनी , हथौड़ी आदि ; चित्रकला में कागज़ , ब्रश , रंग , पेन्सिल आदि ; काव्य तथा संगीत के लिए नाद एवं शब्द आदि की आवश्यकता पड़ती है | संगीत केवल नाद प्रधान ही है | अतः संगीत का स्थान सभी ललित कलाओं में सर्वश्रेष्ट है | यह कला अपने प्रभाव की व्यापकता , सूक्ष्मता और महत्ता के कारण ललित कलाओं रूपी आकाश का ध्रुव तारा बनी हुई है | लौकिक व अलौकिक , भौतिक तथा आध्यात्मिक आनंद प्राप्त करने तथा प्रदान करने की जितनी शक्ति संगीत में है , उतनी अन्य कलाओं में नहीं |
संगीत सभी ललित कलाओं में सर्वश्रेठ है | इस संबंध में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा " वेदानाम् सामवेदोऽस्मि " तथा वृंदावन के रास में नृत्य एवं बाँसुरी बजाकर इसकी महानता दिखाई गई है | आधुनिक कवि गरु रवीन्द्रनाथ टैगोर ने तो यह भी कहा है कि " जहाँ कविता ( काव्य ) में अभिव्यक्ति असमर्थ है वहाँ से संगीत की पहली सीढ़ी आरंभ होती है | संगीत अपने सुख - दुःख , प्रेम आदि अनुभूतियों की स्वर , लय , ताल मुद्राओं आदि श्रेष्ठतम अभिव्यक्ति है | श्रेष्ठता से संपन्नता को कला कहा जाता है , इसलिए संगीत को ' संगीत कला " के नाम से संबोधित किया जाता है | "
संगीत खुद काव्यमय है , इसलिए इसमें लीन हो जाने पर चित्त सदा भावमय रहता है | संगीत के लोक से उज्जवल रश्मि निकलकर हमें उच्चतम लोक तक ले जाती है |
Music is the divine form form of art which gives us the feeling of great pleasure and the will to live life to the brim.
Wow I like the content
ReplyDeletethink you very much
ReplyDeleteIt is so knowledgable
ReplyDeleteIt is my pleasure.
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